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बिहार विधानसभा चुनाव 2020: नीतीश के 15 साल क्या जनता इस बार फिर से चुनेगी नीतीश को?

बिहार विधानसभा चुनाव 2020: नीतीश के 15 साल


बिहार विधानसभा चुनाव 2020: नीतीश कुमार के शासनकाल के 15 साल हो चुके हैं नीतीश कुमार ने जब 2005 में सत्ता संभाली थी तो सब बिहार की हालत बहुत ही दयनीय थी बिहार भ्रष्टाचार से कुशासन से और दिनदहाड़े मारपीट जैसी घटनाओं से काफी जूझ रहा था

बिहार में सड़कों की हालत काफी बदहाल थी बिहार में इलेक्ट्रिक इलेक्ट्रिसिटी की काफी प्रॉब्लम थी इस तरह की बहुत सारी समस्याएं थी शिक्षा की भी समस्या काफी हद तक थी !

नीतीश कुमार ने एक ऐसे वक्त सत्ता संभाला जब बिहार में लालू विरोधी लहर चरम सीमा पर थी उसका सबसे बड़ा रीजन यह है कि लालू ने पिछले 15 साल में बिहार को गर्त में धकेल दिया था !

 

नीतीश के 2005-2010 साल


नितीश कुमार विकास के मुद्दों पर चुन कर के आए और विकास के मुद्दों पर ही उनको वोट मिला और 2005 में जब सत्ता संभाली तो 2005 से 2010 तक बिहार में विकास की एक स्पीड देखने को मिली बिहार काफी तेज गति से अपने बिकाश के रथ पर सवार होकर आगे बढ़ रहा था !

बिहार वासियों को यह उम्मीद जगी कि नीतीश शायद बिहार की कुप्रथा से बिहार के भ्रष्टाचार और से बिहार में हो रहे धांधली से बिहार में हो रहे शिक्षा के गिरावट में काफी सुधार करेगा और नीतीश ने ऐसा किया भी शुरुआती के 5 सालों तक बिहार हर उम्मीद पर खरा उतरता दिखाई दे रहा था

नीतीश ने 5 सालों में बहुत सारे काम किये जैसे घर घर बिजली पहुंचाने का काम किया शिक्षा के स्तर में काफी काम, नए शिक्षकों की बहाली की नया स्कूल बनवाया, महिलाओं को 50% तक रिजर्वेशन दिया ताकि महिलाये हर क्षेत्र में आगे आ सके ! उन्होंने लड़कियों को पढ़ने के लिए कई साइकिल वितरण करवाया ₹3000 रुपये कपड़ों के लिए वितरण करवाया या यु कहे की हर स्तर पर काफी काम किया !

 

नीतीश के 2010-2115 साल


2010-2015 के शासनकाल से बिहार की विकाश की गति थोड़ी धीमी हो गयी फिर २०१५ से २०२० तक बिहार की विकास की गति में अचानक ब्रेक लग गया

और एक बार फिर से बिहार विकाश के लिए झुझता नजर आया ! बिहार विकास को तरस रहा था बिहार के लोगों को काफी उम्मीदें थी 2010 से २०१५ के बीच का समय समय काफी संवेदनशील रहा बिहार के लिए भी क्युकी 2014 की लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन से नितीश अलग हो गए उनका अलग होने का मुद्दा था नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन नहीं देना चाह रहे थे जिसकी वजह से एनडीए गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़े और उन्होंने राजद के साथ गठबंधन किया और भाजपा के विरोध में राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल का गठबंधन किया !

 

नीतीश का गठबंधन से अलग होना


2015 के चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड के गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला और फिर यह दोनों मिलकर के सरकार भी बनाया
लेकिन 5 साल का जो समय रहा बिहार के लिए बहुत ही बदहाली का समय रहा इन 5 सालों में विकास नाम की कोई चीज देखने को बिल्कुल नहीं मिली आज नितीश जो वोट मांगते वो सिर्फ उनके पुराने कामों के ही बदले लोग वोट देंगे

लेकिन 2015 में जो गठबंधन की सर्कार बनी राष्ट्रीय जनता दल के साथ जनता दल यूनाइटेड का वो गठबंधन बिहार वासियों के लिए एक निराशा की तरह रहा इसके ढाई साल के अंदर ही इन दोनों का गठबंधन टूट गया और नितीश भाजपा के साथ मिलकर के नीतीश कुमार ने अपना सरकार बनाई !

Nitish Kumar on alliance break

मगर 2018 के बीच में जब नितीश ने घर वापसी की इसके बावजूद भी इन 2 सालों में विकास पर ध्यान नहीं दिया !

नीतीश कुमार की बहुत सारी नाकामियों भी रही बहुत सरे ऐसे निर्णय उन्होंने लिया जिसका खामियाजा खुद सरकार को और आप जनता को भी भुगतना परा उदहारण के तौर पर 1 अप्रैल 2016 को जो उन्होंने शराब बंदी का निर्णंय लिया वो सबसे बड़ा फैसला लिया उस से बिहार के बाजार में शराब की कालाबाजारी चरम सीमा पर पहुंच गई और बिहार सरकार को साथ साथ राजस्व घटा भी उठाना परा !

नीतीश कुमार को लगता है कि उन्हें महिलाओं की उत्थान के लिए ही शराब बंदी किया, हालांकि बिहार राजस्व को काफी नुकसान झेलना पड़ा लेकिन वो इसको भी तैयार हो गए उनका कहना था कि महिलाओं के उत्थान के लिए महिलाओं के सुखी जीवन के लिए हर कदम कदम साथ उठाएंगे उनका साथ देंगे

 

नीतीश की राजनीतिक कैरियर पर छींटे


नितीश कुमार की सबसे बरी नाकामयाबी जो रही और जिसकी वजह से उनके राजनितिक करियर पर छींटे लगे वो है सृजन घोटाला, टॉपर घोटाला, मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड आदि !

अब सबसे बरी बात ये है की मुख्यमंत्री रहते हुवे इन 15 सालों में रोजगार पर ध्यान क्यों नहीं दिया ! विपक्ष का सबसे बड़ा मुद्दा भी यही है और सभी बिहार के लोगो का भी इस बार सबसे बड़ा मुद्दा यही है कि पिछले 15 सालों से सत्ता में है इसके बावजूद भी इन्होने बिहार की मजदूरों के लिए कोई कल खाने की स्थापना क्यों नहीं कि !

उन्होंने बिहार के मजदूरों के लिए रोजगार की वेवस्था क्यों नहीं की, बिहार के चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी है जो मुख्यमंत्री पिछले १५ सालो में रोजगार पर ध्यान नहीं दिया तो वह आने वाले 5 सालों में फिर क्या व्यवस्था करेगा या रोजगार पर ध्यान देगा उसके लिए रोजगार बहुत बड़ा मुद्दा बनेगा ?

 

बिहार विधानसभा चुनाव 2020: क्या नीतीश को जनता फिर से चुनेगी ?


अब देखने वाली बात यह है कि क्या नीतीश कुमार विपक्ष के 15 सालों की कुशासन पर या भ्रष्टाचारी का आरोप लगा कर के या उस वक्त की खराब व्यवस्था का डर दिखा करके बिहार के लोगों से अपना वोट हासिल कर पाएंगे या अपने 2005 से 2010 साल के सुनहरे शासन का भविष्य दिखा करके अपना वोट हासिल कर पाएंगे अब ये तो आने वाले चुनाव में चुनाव के नतीजे ही बताएगा !

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