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पुष्पम प्रिया चौधरी: खुद को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित करना कॉन्फिडेंस या ओवरकॉन्फिडेंस ?

बिहार से ही ताल्लुक रखने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी का प्राथमिक शिक्षा तो वैसे बिहार में ही हुई मागर उच्च शिक्षा के लिए लंदन वो लन्दन रवाना हो गई और पुष्पम प्रिया चौधरी ने अपना उच्च शिक्षा वही से कंप्लीट की

अपनी एजुकेशन कंप्लीट करने के बाद जैसा कि वह बताती है उनके पास कई सारे कंपनियों से ऑफर भी थे करोड़ो के पैकेज के ऑफर थे मगर उस ऑफर को ठुकरा कर के बिहार में लोगों की सेवा करने के लिए ठानी

पुष्पम प्रिया चौधरी को लगता है कि बिहार का जो राजनीतिक है काफी गंदा हो चुका है बिहार के लोग विकास इसीलिए नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि बिहार की पॉलिटिक्स सबसे खराब है इस कचरे को साफ करने के लिए बिहार पॉलिटिक्स में उन्होंने अपना कदम रखा !

पुष्पम प्रिया चौधरी

मार्च 2020 के मैं जब उन्होंने अखबार में ऐड दिया बड़े-बड़े चित्र छपे अखबारों के पहले पृष्ठ पर उसमें लिखा था मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार पुष्पम प्रिया चौधरी !

खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना इतना कॉन्फिडेंस दिखाता है या कितना ओवरकॉन्फिडेंस आइए हम अपना विश्लेषण करते हैं !

पुष्पम प्रिया चौधरी ने इसके बाद अपनी पार्टी का गठन किया और उस पार्टी का नाम लिखा पुलरल्स पार्टी ! खुद को सीएम कैंडिडेट बताने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए घूम घूम कर बिहार में काफी प्रचार कर रही हैं, लोगों से बातचीत कर रही है ! लोगों के साथ जुड़ने के लिए काफी प्रयास कर रही हैं !

उनका कहना है कि उनकी पार्टी में जो भी उम्मीदवार होगा वह वेल एजुकेटेड होगा उम्मीदवारों के लिए पहली प्राथमिकता एजुकेशन का होना जरूरी है जैसा वह बताती हैं!

पुष्पम प्रिया चौधरी से यह सवाल पूछे जाने पर कि आप लंदन से आती हैं खुद को सीएम कैंडिडेट घोषित कर देती है क्या यह कॉन्फिडेंस है या ओवरकॉन्फिडेंस ? तो वह सवालों का जवाब थोड़ा घुमा फिरा कर देती हैं उनका कहना है कि उन्हें पता है कि बिहार में चीजें कैसे एफेक्ट होती है और उसका डील कैसे करना है

उनका कहना है की जब भी वह किसी से बात करती है तो उनके सामने वाला प्रश्न यही आता है कि आप लंदन में रही है तो वह कहती है कि लंदन भी इसी प्लेनेट का हिस्सा है और बिहार मेरा जन्म स्थान यह कोई बड़ी बात नहीं है

बिहार में अगर एक साधारण आदमी को अपना इलाज करवाना हो और अगर उसके पास पहुंच नहीं हो कोई रसूख नहीं हो तो कैसे वह तरप तरप करके अपना जान दे देता है इस बात का अंदाजा भी उन्हें है

बिहार में रसूख की बहुत इज्जत होती है अगर आप का रसूख नहीं है तो आपको कोई पूछने वाला नहीं है इन्हीं चीजों को खत्म करने के लिए प्रयास कर रही हैं उनका मानना है कि पूरा एक तंत्र है जो आम आदमी के खिलाफ काम कर रहा है बस यही सब देख करके उनको हौसला मिलता है और वह अपना काम कर रही हैं !

आरक्षण के मुद्दे पर पूछे जाने पर वह कहती है कि आरक्षण एक तरह से जायज है आरक्षण उन लोगों के लिए किया गया जो कमजोर है दबे कुचले हैं या जो पिछड़े हैं मगर बिहार के राजनेताओं ने इसकी एक आईडेंटिटी पॉलिटिक्स सुरु कर दी

बिहार के ज्यादातर नेता नकली है ऐसा वह मानती है ! उनका कहना है कि जो आरक्षण के निर्माता है बाबा भीम राव अंबेडकर वह भी उसी कॉलेज से पढ़े हुवे है जिस कॉलेज से वह पढ़ी हुई है ! उनकी बहुत सारी ऐसी मूर्तियां जगह-जगह लगी पड़ी है जिनपर पर धूल मिट्टी जमे हुए हैं और वह खुद अपने हाथों से साफ कर चुकी है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उनकी कितनी इज्जत है !

उनका मानना है कि आरक्षण एक हद तक तो ठीक था मगर इन नकलची नेताओं ने उसका फायदा उठा कर के अपने फायदे के लिए आईडेंटिटी पॉलिटिक्स कर दी और जिसका नुकसान आजा मैं देखने को मिल रहा है !

उनका मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं !पहला वह जिन्होंने 15 साल तक शासन किया और आप बिहार की वर्तमान परिस्थितियों से अवगत है! दूसरा वह है जिनको मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तो होना नहीं चाहिए मगर वह उम्मीदवार इसलिए है क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बेटे हैं

जिन कार्यकर्ताओं ने लालू प्रसाद यादव के लिए राष्ट्रीय जनता दल के लिए झंडे ढोए थे अगर सही तौर पर देखा जाए तो यह विरासत उन कार्यकर्ताओं को मिलनी चाहिए ना कि तेजस्वी प्रसाद यादव को तेजस्वी प्रसाद यादव मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसलिए बने क्योंकि वह राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक लालू प्रसाद यादव के बेटे हैं !

 

तेजशवी प्रसाद यादव का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना सही फैसला है या गलत फैसला है?

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